हर तस्वीर कोई कहानी कहती है

Vijayshree Tanveer

विजयश्री तनवीर

लव जिहाद की अंड -बंड बहस के दौरान तक़रीबन अठारह साल पुरानी विवाह की यह अनिंद्य तस्वीर क्या बयां करती है? तस्वीर में लड़की की मांग भरते लड़के के चेहरे पर उछाह का आलोक है , लड़की के चेहरे पर उदासी और दमकशी। लड़की ने सुन रखा है औरतें जल की तरह शीतल और तरल होती हैं… मर्द मिट्टी से ठोस और रूखे। दोनों का संग और बस कीचड़ ही कीचड़।

लड़की एक कुलीन ब्राह्मण परिवार से है , लड़का सैयद मुसलमान। क़ायदे से यह शादी विशेष विवाह अधिनियम के तहत होनी चाहिए थी। किंतु यह एक हिन्दू विवाह की तस्वीर है क्योंकि दोनों यह खतरा उठाने को तैयार नहीं कि विशेष विवाह अधिनियम की शर्तों के अनुसार लड़की और लड़के के घर महीना भर पहले एक नोटिस पहुँच जाए जिसके बाद यह शादी दुष्कर नहीं असंभव हो।

यह शादी मुस्लिम विवाह अधिनियम के हिसाब से भी हो सकती थी। लेकिन लड़के को यही भला और सहल लगा। क्योंकि यहाँ लड़के को फ़िक्र है कि ज़रा -ज़रा सी बात पर ख़ुश और उदास हो जाने वाली उसकी प्रेमिका को कितनी असुरक्षा लगेगी। अनुरागी मन अपने प्रिय को निशंक और निश्चिंत देखना चाहता है। हालांकि प्रेम में रस्मों -रिवाज़ बेमानी होते हैं।

लड़की थोड़ी देर पहले इस बात पर सरगिराँ थी कि ऐसे काले कपड़ों में बस नाम को मंदिर की टोकरी में रखी अनगिनत गुलझटों वाली ओढ़नी ओढ़कर भी कहीं शादी होती है ! न ढोलक की थाप पर बन्नी गाई गईं, न हमजोलियों की हंसी ठिठोल हुई। न हाथों पर मेहंदी की सुर्ख़ी चढ़ी, न बदन पर अपने मन का चुनवां लाल जोड़ा और गहनों की झनक -मनक। न रिश्तेदारों की गहमा गहमी, न गाजे बाजे की धूम। और तो और न विदा का विलाप होगा, न संग कोई गौनहार।

तस्वीर विजयश्री तनवीर की फेसबुक वॉल से साभार

लेकिन तस्वीर में लड़की इस वक़्त इस बात पर रो रही है कि कोई प्यार में इतना भी उदार होता है क्या ! लड़की ने सुबकते हुए कहा तुम ऐसे हिन्दू रिवाज़ से ब्याह करोगे तो लोग तुम्हें क्या कहेंगे ! लड़के ने कहा, “इससे क्या अंतर पड़ता है… मैं सिर्फ़ इतना ही मुसलमान हूँ जितनी तुम हिन्दू।”

एक और मज़ेदार बात भाँवरें पड़ने के बाद लड़की इस बात पर रंजीदा होगी कि वह मांगलिक है और ज्योतिषियों के चलन कलन के हिसाब से यह दोष अट्ठाइस की उम्र के बाद दूर होना है। इस बीच मंगल ने कोई अमंगल कर दिया तो !

ख़ैर तस्वीर की कहानी ख़त्म हुई। बाद में सारे ताम झामों के संग लड़के लड़की की बाक़ायदा शादी हुई। बिना किसी अमंगल के दोनों ख़ूब ख़ुश हैं। बस लड़का थोड़ा तोंदू हो गया है। लड़की आजकल बेकार पन्ने काले करती है। छोटी बातों पर ख़ुश और उदास होना अब भी उसकी खुसूसियत है।

शादी से हुई कीचड़ में दो प्यारे कमल खिले हैं। इस शादी के दस्तावेज जो लड़के ने लड़की के सुरक्षा चक्र के नाम पर उसके हाथ में थमाए थे जाने कहाँ पड़े हैं। असल में उन्हें कभी उनकी ज़रूरत ही नहीं थी। रिश्ते काग़ज़ों पर नहीं चला करते।

अंततः एक और बात, दो लोग जो पूरे मन से एक दूजे का साथ चाहते हैं, उन्हें किसी विधेयक या कानून का खौफ़ नहीं रखना चाहिए।

अपने पहले कहानी संग्रह ‘अनुपमा गांगुली का चौथा प्यार’ के जरिए अपनी ओर आकर्षित करने वाली विजयश्री तनवीर मौजूदा हिंदी कहानी का युवा और संभावनाओं से भरा चेहरा हैं। यह संस्मरणात्मक आलेख हमने उनकी फेसबुक से साभार लिया है। 

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