कार्नेलिया सोराबजी, जिनकी वजह से देश में महिलाओं को वकालत का अधिकार मिला

कॉर्नेलिया सोराबजी

भारत की पहली महिला बैरिस्टर कार्नेलिया सोराबजी की वजह से ही देश में महिलाओं को वकालत का अधिकार मिला था। उन्होंने कई किताबें लिखीं और महिलाओं की शिक्षा के लिए संघर्ष किया। वे एक डवोकेट होने के साथ ही समाज सुधारक और लेखिका भी थीं। ऑक्सफोर्ड जाकर कानून की पढ़ाई करने वाली भी वह देश की प्रथम महिला थीं।

ऑक्सफर्ड में पढ़ाई के लिए उन्हें स्कॉलरशिप नहीं मिली तो उन्होंने इसके खिलाफ भी लड़ाई लड़ी। वे न सिर्फ भारत और लंदन में लॉ की प्रेक्टिस करने वाली पहली महिला थीं, बल्कि वे बॉम्बे यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट होने वाली पहली युवती, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई करने वाली पहली महिला और ब्रिटिश यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाली पहली भारतीय भी थीं। उनके 151वें जन्मदिवसपर गूगल ने एक खास डूडल बनाया था। आज भी उनका नाम वकालत जैसे जटिल और प्रतिष्ठित पेशे में महिलाओं की बुनियाद है।

सोराबजी का जन्म 15 नवम्बर 1866 को नासिक में एक पारसी परिवार में हुआ था। 1892 में नागरिक कानून की पढ़ाई के लिए विदेश गयीं और 1894 में भारत लौटीं। उस समय महिलाओं को वकालत का अधिकार नहीं था। लेकिन कार्नेलिया तो एक जुनून का नाम था। अपनी प्रतिभा की बदौलत उन्होंने महिलाओं को कानूनी परामर्श देना आरंभ किया और महिलाओं के लिए वकालत का पेशा खोलने की मांग उठाई। अंतत: 1907 के बाद कार्नेलिया को बंगाल, बिहार, उड़ीसा और असम की अदालतों में सहायक महिला वकील का पद दिया गया।

1929 में कार्नेलिया हाईकोर्ट की वरिष्ठ वकील के तौर पर सेवानिवृत्त हुयीं पर उसके बाद महिलाओं में इतनी जागृति आ चुकी थी कि वे वकालत को एक पेशे के तौर पर अपनाकर अपनी आवाज मुखर करने लगी थीं। समाज सुधार और कानूनी कार्य के अलावा उन्होने अनेकों पुस्तकों, लघुकथाओं एवं लेखों की रचना भी कीं। उन्होंने दो आत्मकथाएं- इंडिया कॉलिंग (1934) और इंडिया रिकॉल्ड (1936) भी लिखी हैं। अनुमान लगाया गया है कि सोराबजी ने 600 से अधिक महिलाओं और अनाथों को कानूनी लड़ाई लड़ने में मदद की, कभी-कभी कोई शुल्क नहीं लिया।

सोरबजी 1929 में उच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त हुईं, और लंदन में बस गयीं, सर्दियों के दौरान भारत की यात्रा पर आतीं। 6 जुलाई 1954 को लंदन के मैनोर हाउस में ग्रीन लेन्स पर नॉर्थम्बरलैंड हाउस में अपने लंदन के घर में इनका निधन हो गया।

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