मेरा रंग फाउंडेशन संयुक्त राष्ट्र संघ के ससत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals) के पांचवें लक्ष्य ‘लैंगिक समानता’ को हासिल करने में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र का सतत विकास लक्ष्य क्या है?
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से 17 सतत् विकास लक्ष्यों की ऐतिहासिक योजना शुरू की है जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक अधिक संपन्न, अधिक समतावादी और अधिक संरक्षित विश्व की रचना करना है। इसे सितम्बर, 2015 में संयुक्त राष्ट्रमहासभा की शिखर बैठक में 193 सदस्य देशों ने अनुमोदित किया था। यह एजेंडा पहली जनवरी 2016 से प्रभावी है। इन लक्ष्यों को निर्धारित करने के लिए दुनिया भर के देशों की सरकारों और लाखों नागरिकों ने मिलकर बातचीत की और अगले 15 वर्ष के लिए सतत् विकास हासिल करने का वैश्विक मार्ग अपनाया।
इस समग्र एजेंडा के तहत यह स्वीकार किया गया है कि अब केवल आर्थिक वृद्धि पर फोकस करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि निष्पक्ष और अधिक समतामूलक समाजों तथा अधिक संरक्षित एवं अधिक संपन्न पृथ्वी पर फोकस करना होगा। शांति, न्याय, पर्यावरण संरक्षण और औद्योगिक विकास के कार्य एक-दूसरे से अलग नहीं है बल्कि उसी परिवर्तन के अंग हैं। इसमें सबसे अधिक मान्यता इस बात की है कि वैश्विक और परस्पर जुड़ी चुनौतियों से लड़ने के लिए केवल वैश्विक और परस्पर जुड़े समाधानों की ही आवश्यकता है।
जेंडर समानता का लक्ष्य
दुनिया के हर हिस्से में महिलाएं और लड़कियां आज भी भेदभाव और हिंसा झेल रही हैं। हर क्षेत्र में जेंडर समानता के मामले में कमियां मौजूद हैं। दक्षिण एशिया में 1990 में प्राइमरी स्कूलों में हर 100 लड़कों पर सिर्फ 74 लड़कियां भर्ती होती थीं, लेकिन 2012 तक भी भर्ती का अनुपात वही था। 155 देशों में कम से कम एक कानून ऐसा मौजूद हैं, जो महिलाओं के लिए आर्थिक अवसरों में बाधक है। अधिकांश देशों में महिलाएं, पुरुषों को मिलने वाले वेतन की तुलना में औसतन सिर्फ 60% से 75% तक ही कमा पाती हैं। सभी देशों की संसदों में केवल 22.8% महिला सांसद हैं। हर तीन में से एक महिला अपने जीवन काल में किसी न किसी प्रकार की शारीरिक अथवा यौन हिंसा की शिकार होती है।
भारत में जेंडर असमानता
भारत सरकार ने महिलाओं के प्रति हिंसा समाप्त करने को एक प्रमुख राष्ट्रीय प्राथमिकता माना है, जो लैंगिक समानता के बारे में संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास उद्देश्यों का अंग है। प्रधानमंत्री की ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ पहल का उद्देश्य भारत में लड़कियों को समान अवसर और शिक्षा देना है। इसके अलावा, महिलाओं के रोजगार के बारे में विशेष प्रयास, किशोरी बालिकाओं के सशक्तिकरण के कार्यक्रम, बालिका की संपन्नता के लिए सुकन्या समृद्धि योजना और माताओं के लिए जननी सुरक्षा योजना जैसे उपाय लैंगिक समानता और लक्ष्य 4 के उद्देश्यों के प्रति भारत के संकल्प को आगे बढ़ाते हैं।
जेंडर समानता के लिए मेरा रंग फाउंडेशन के प्रयास
- जेंडर समानता के प्रति जागरुकता : मेरा रंग फाउंडेशन ने अपनी स्थापना के साथ ही महिलाओं और लड़कियों के साथ हर जगह हर प्रकार का भेदभाव मिटाने का संकल्प लिया और हर फोरम पर इस संकल्प को दोहराया है। मेरा रंग ने कई कॉलेजों में वर्कशॉप व गोष्ठियों का आयोजन करके जेंडर समानता के प्रति छात्र-छात्राओं को जागरुक किया है. हमने पिछले चार सालों में साहित्यिक गोष्ठियों, मेरा रंग संवाद, वीडियो इंटरव्यू के माध्यम से लगातार जेंडर समानता से जुड़ी सोच को विस्तार देने का प्रयास किया है।
- घरेलू हिंसा की रोकथाम : मेरा रंग फाउंडेशन महिलाओं और लड़कियों के प्रति सभी प्रकार की हिंसा समाप्त करने के मकसद से कार्य कर रहा है। इसके तहत घरेलू हिंसा के प्रति महिलाओं को जागरुक करने के लिए कई ऑनलाइन कार्यक्रमों का आयोजन किया गया और गोरखपुर तथा गाजियाबाद में विशेषज्ञों के साथ संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मेरा रंग ने यूट्यूब पर घरेलू हिंसा की रोकथाम वाले कई वीडियो तैयार किए जिससे महिलाएं अपने कानूनी अधिकारों के प्रति जागरुक हो सकें।
- बाल विवाह, कम उम्र में और जबरन विवाह को रोकने के लिए भी मेरा रंग के माध्यम से लगातार प्रयास हुए हैं। ऐसे कई केस सामने आए जिनमें कानून तथा प्रशासन की मदद से मदद पहुँचाई गई।
- मेरा रंग फाउंडेशन घरेलू सहायिकाओं को स्वास्थ्य तथा उनके सामाजिक अधिकारों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर जागरुक करने लिए स्लम एरिया में विशेष जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन करता रहा है। बीते तीन सालों से मेरा रंग की तरफ से प्रत्येक महिला दिवस पर स्लम एरिया में कार्यक्रम किए हैं।
- गाजियाबाद के स्लम एरिया में हुए कार्यक्रमों में यौन तथा प्रजनन स्वास्थ्य एवं प्रजनन अधिकारों की सबके लिए सुलभता सुनिश्चित कराने के लक्ष्य पर विशेष फोकस रहा है।
- महिला सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करने के लिए विशेषकर सूचना और संचार टैक्नॉलॉजी सहित सामर्थ्यकारी टैक्नॉलॉजी का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया तथा यूट्यूब चैनल के माध्यम से लगातार जागरुकता बढ़ाने वाले कार्यक्रमों का प्रसारण।
- ऑनलाइन कार्यक्रमों की मदद से सभी स्तरों पर, सभी महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण और लैंगिक समानता के संवर्द्धन हेतु ठोस नीतियां एवं लागू करने योग्य कानून अपनाना और उन्हें मजबूत करना।
एसडीजी से जुड़ी सूचना तथा आंकड़ों के लिए हमने यूनाइटेड नेशंस इंडिया की वेबसाइट से मदद ली है।