नासिरा शर्मा
शालिनी श्रीनेत का लाइव कार्यक्रम अक्तूबर 2016 से शुरू हुआ। इसमें कोई दो राय नहीं कि नाम बेहद खूबसूरत है, जिसमें अनेकता, भिन्नता एवं स्वतंत्रता की परतें छुपी हुई हैं। मेरा लाइव कार्यक्रम उस समय रखा गया जब तक मैं किसी भी मंच से यहां तक कि अपने प्रकाशकों के मंच से भी लाइव में शिरकत नहीं कर पाई थी। वजह मेरी नहीं बुलावे की थी। शालिनी को नहीं मैं दिनेश को जानती थी। शालिनी ने जब अपने बारे में बताया तो उसके संघर्ष से मैं प्रभावित हुई और यह जानकर बेहद खुश थी कि वह समाज के बुनियादी मुद्दों से गहरे जुड़ी हुई हैं और उसमें मदद ही नहीं समस्याओं को सुलझाने में भी डूबी हुई है।
मेरे लिए शालिनी का एक अलग मुकाम मेरे दिल में बन गया है। उसके कार्यक्रम 4 और 7 बजे का मैं हर रोज देखने लगी। कुछ लाइव ऐसे आए जिसमें ऐसा कुछ न था जिसको मैं देखूं। इसलिये मैंने देखना छोड़ दिया फिर भी उसके लाइव की झलक तो देख ही लेती। कुछ ऐसे लोगों को बोलते सुना जो साहित्य से इतर की समस्याओं पर बोल रहे थे। कुछ विषय नए और पहली बार इस लाइव पर आ रहे थे। जिसमें जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से आए लोगों की भागीदारी थी, जिसमें उन्होंने अपना नाम कमाया था। उनकी संघर्ष यात्रा एक अलग तरह का आकर्षण लिए हुए थी। उसमें स्त्री मुद्दे थे, सायक्लिस्टों की अपनी दुनिया थी, सराकीर अफसरों की, वह महिलाएं थीं जो भूखे पदयात्रा करते मजदूरों पर बुनियादी बातें कर रही थीं। उपनिषदों पर काम करने वाले विद्वान थे। एकाएक साहित्य मेरा रंग ने अपनी धार पकड़ ली और लोगों में अपनी जगह बना ली।
शालिनी ने जब अपने बारे में बताया तो उसके संघर्ष से मैं प्रभावित हुई और यह जानकर बेहद खुश थी वह समाज के बुनियादी मुद्दों से गहरे जुड़ी हुई हैं और उसमें मदद ही नहीं समस्याओं को सुलझाने में भी डूबी हुई है।
इस मंच की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह किसी नफे या स्वार्थ से जुड़ी नहीं है, जो पुस्तकें बेचने या फिर किसी और तरह के लाभ को उठाना चाह रहा हो यह नितांत शालिनी का समाजसेविका का वह जज़्बा है जो बातों को दूर तक ले जाने की तीव्र इच्छा से जुड़ा है। शालिनी न साहित्यकार हैं और न ही संपादक हैं और न किसी संस्था से जुड़ी हैं। वह खुद में संस्था है और अपनी कीमत पर लाइव का सिलसिला उन्होंने शुरू किया है जिसमें भारत ही नहीं भारत से बाहर के साहित्यकार भी जुड़े हैं जिनके कार्यक्रम लाइव में हम देखते हैं।
उनके मंच से कई जबरदस्त बहसें भी मैसेज द्वारा चलीं जिसमें ‘थप्पड़’ फिल्म फोकस में रही। कहानी प्रतियोगिता भी शुरू हुई है। मेरी शुभकामनाएं शालिनी श्रीनेत के लिए और उसके जज्बे को जो अंदर की आग से वह दूसरों तक पहुंचती है और उनकी सहायता हर स्तर पर करती है जिसका प्रमाण उसके लाइव हैं जो अनेक हो रहे लाइव से अलग अपनी पहचान रखता है। तकनीक ने हमको इस संकट भरे समय में एक-दूसरे से मिलवाया वह भी साहित्य मेरा रंग केलाइव से। जिसके लिए हम सब धन्यवाद देते हैं। उऩ सबको भी जो शालिनी के साथ तकनीकी भार संभालते हैं।