कला प्रदर्शनी : सेवन सिस्टर्स यानी सात महिला कलाकारों की अभिव्यक्ति के रंग

Painting of Supriya Amber
सुप्रिया अंबर की पेंटिंग

‘सेवन सिस्टर्स’ के नाम से सात महिला कलाकारों की यह अनूठी प्रदर्शनी नई दिल्ली स्थित ललित कला अकादमी की कला वीथिका आयोजित की गई। आयोजन के अंतिम दिन मेरा रंग ने इन महिला कलाकारों से बातचीत की।

इस प्रदर्शनी की संयोजक (क्यूरेटर) सुप्रिया अंबर ने बताया कि मकसद था कि कुछ बेहतरीन महिला कलाकारों के काम को एक छत के नीचे लाया जाए जो अन्य महिला कलाकारों के लिए प्रेरणा बने। बातचीत के दौरान उनके लाइफ पार्टनर विनय अंबर ने ‘सेवन सिस्टर्स’ नाम सुझाया, जिस पर सभी की सहमति बनी। आयोजन छह से 12 नवंबर तक चला। इसमें सुषमा बरुआ, प्रीति संयुक्ता, अपर्णा अनिल, सोनाली चौहान, मीनाक्षी झा बैनर्जी तथा करिश्मा वाधवा ने अपने आर्टवर्क की प्रदर्शनी लगाई।

Artist in seven sisters exhibition
कला प्रदर्शनी में आर्टिस्ट सुप्रिया अंबर, मेरा रंग की संचालक शालिनी श्रीनेत, आर्टिस्ट सोनाली चौहान तथा मीनाक्षी झा बनर्जी

सुप्रिया अंबर मनुष्य और प्रकृति के रिश्तों को अपनी तस्वीरों में उकेरती हैं। इस प्रदर्शनी में शामिल उनकी कुछ कलाकृतियां आदिवासी पर बनाए गए स्केच के आधार पर तैयार की गई थीं।

सोनाली चौहान की तस्वीरों में भी प्रकृति का बहुत ही प्रेरणादायक रूप देखने को मिलता है। पत्ती, बीच और अंकुरण से जु़ड़ी आकृतियों को उन्होंने अपनी पेंटिंग का विषय बनाया था। प्रीति संयुक्ता की बनाए ‘कलरफुल’ चेहरों में एक किस्म का रहस्यवाद नज़र आता है। यहां भी प्रकृति है मगर उसकी उपस्थिति में कुछ अनोखापन है। इन तस्वीरों में कलाकार की अपनी स्मृतियों का भी दखल भी नज़र आता है।

Painting by Meenaxi Jha
सेवेन सिस्टर्स में मीनाक्षी झा की पेंटिंग

करिश्मा वाधवा की शीर्षक रहित एब्स्ट्रैक्ट सी लगती पेटिंग्स शहरी बस्तियों की सघन बुनावट को दर्शाती हैं। सीमेंट-कंक्रीट के ये जंगल अलग तरह का एस्थेटिक्स रचते हैं। मीनाक्षी झा बैनर्जी की तस्वीरों में बिहार की मधुबनी कला की प्रेरणा दिखती है। प्रदर्शनी में लगाई गई तस्वीरों में मिथकीय कथाओं – खास तौर पर दुर्गा के स्वरूप को आधुनिक संवेदना के साथ प्रस्तुत किया गया गया है।

अपर्णा अनिल की तस्वीरों में स्वप्न सरीखा प्रभाव है। अपनी स्मृति में बसे रहस्यमय बिंबों और यादों को वे अक्सर अपने चित्रों का विषय बनाती हैं। सीमा बरुआ की तस्वीरें भी मानवीय रिश्तों की जटिलाओं और उसमें स्त्री की उपस्थिति को बहुत ही मौलिक तरीके से प्रस्तुत करती हैं। रंगों और लोकप्रिय संस्कृति में मौजूद छवियों का अनूठा इस्तेमाल उनको सबसे अलग करता है।

जाने-माने कलाकार अखिलेश ने उत्तर पूर्व के सात राज्यों (जिन्हें सेवेन सिस्टर्स कहा जाता है) से तुलना करते हुए कहा है कि इस प्रदर्शनी में हर कलाकार की अपनी एक अलग शैली है, एक स्वतंत्र व्यक्तित्व है। सातो बहनों का दुनिया को देखने का अपना-अपना नज़रिया है मगर प्रकृति इन सब की प्रेरणा है।

कुल मिलाकर ‘सेवन सिस्टर्स’ के नाम से आयोजित इस प्रदर्शनी में रंगों और रेखाओं के माध्यम से स्त्री मन के अछूते और अनकहे संसार की झलक मिली। इस तरह के प्रयासों से कला के स्पेस में स्त्री की अपनी अभिव्यक्ति और उसकी अस्मिता को न सिर्फ कला की दुनिया में स्पेस मिलता है बल्कि वह दर्शकों के लिए भी एक नया भावबोध पैदा करता है।

कला प्रदर्शनी में अंतिम दिन कुछ कलाकारों से बातचीत

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